जब काटने की औकात ना हो ,
तो भौकना भी नहीं चाहिए |
वर्षों पुरानी कैद से थक चूका हूँ |
अब आजादी का घूंट हमें पीने दो...
मर मर जी लिए हम ,
खुलकर अब हमें जीने दो...|
तो भौकना भी नहीं चाहिए |
वर्षों पुरानी कैद से थक चूका हूँ |
अब आजादी का घूंट हमें पीने दो...
मर मर जी लिए हम ,
खुलकर अब हमें जीने दो...|
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